Table of Contents
Ashok Pathak(अशोक पाठक) का सफर संघर्ष और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। बिहार में जन्मे अशोक का परिवार बेहतर रोजगार की तलाश में हरियाणा चला गया था, जहां उनका बचपन बीता। हालांकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन वे एक साधारण जीवन जी रहे थे। अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए, अशोक ने 10वीं कक्षा में रहते हुए कपास बेचना शुरू किया। साइकिल पर घूम-घूमकर कपास बेचना उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण काम था, लेकिन इससे उन्होंने अपने परिवार का साथ दिया।
12वीं कक्षा के बाद, जब उनके परिवार की स्थिति थोड़ी बेहतर हो गई, तब उन्होंने कॉलेज में थिएटर की दुनिया में कदम रखा। थिएटर ने अशोक के अंदर छुपी हुई प्रतिभा को निखारा और वे अभिनय की ओर आकर्षित हुए।
मुंबई का सफर
Ashok Pathak का मुंबई आना भी किसी संघर्ष से कम नहीं था। वे 11 साल पहले सिर्फ 40,000 रुपये लेकर मुंबई आए थे। मुंबई जैसे महंगे शहर में शुरुआत करना बेहद कठिन था। अशोक ने यहां छोटी-छोटी भूमिकाओं से अपनी शुरुआत की, जिनमें से कुछ फिल्मों और वेब सीरीज में छोटे किरदार शामिल थे। उन्हें फ़िल्म ‘बिट्टू बॉस’ और ‘शंघाई’ में भी छोटे किरदार मिले। इन भूमिकाओं ने उन्हें ज्यादा पहचान नहीं दिलाई, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष करते रहे।
BookMyShow : Success Story: A Revolution in the Entertainment World
संघर्ष और पहचान
Ashok Pathak को अक्सर सड़क विक्रेता, ड्राइवर या सुरक्षा गार्ड जैसी भूमिकाएं दी जाती थीं, जिससे वे कभी-कभी निराश भी हो जाते थे। वे ‘सेक्रेड गेम्स‘, ‘द सेकंड बेस्ट एक्सॉटिक मेरीगोल्ड होटल‘, ‘क्लास ऑफ़ 83‘, और ‘पुष्पावली‘ जैसी सीरीज में नज़र आए, लेकिन उन्हें कोई बड़ी पहचान नहीं मिल पाई।
जब उन्हें ‘पंचायत’ के दूसरे सीजन के लिए ऑडिशन देने के लिए कहा गया, तो वे काफी निराश थे और इस किरदार को भी साधारण समझकर उन्होंने दो-तीन दिन तक ऑडिशन देने से मना कर दिया। हालांकि, उनके दोस्तों ने उन्हें ऑडिशन देने के लिए मनाया और जब उन्होंने ऑडिशन दिया, तो उन्हें फाइनल कर लिया गया। ‘पंचायत 2’ में विनोद का किरदार निभाने से उन्हें जिस तरह की पहचान मिली, वह उनके लिए एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। इस सीरीज में उनका किरदार साधारण गांववासी विनोद का था, जो अपनी खुद की शौचालय की मांग करता है।
Ashok Pathak का ‘पंचायत’ वेब सीरीज में योगदान
अशोक पाठक(Ashok Pathak) ने ‘पंचायत’ के दूसरे सीजन में विनोद का किरदार निभाया, जो बेहद खास रहा। उनका किरदार छोटा था, लेकिन प्रभावशाली था। विनोद, जो गांव का एक साधारण व्यक्ति है, शौचालय की कमी के कारण काफी परेशान रहता है। इस मुद्दे को लेकर वह विरोध करने के लिए उकसाया जाता है। हालांकि, उसे बाद में एहसास होता है कि वह गलत दिशा में जा रहा है। ये सीरीज का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जहां विनोद का किरदार दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में सफल रहा।
‘पंचायत’ में अशोक पाठक के कुछ प्रमुख पल:
1. शौचालय का मुद्दा:
विनोद के किरदार की मुख्य कहानी शौचालय की मांग के इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी बेचैनी और संघर्ष को अशोक पाठक ने बेहद वास्तविकता के साथ प्रस्तुत किया है।
2. विनोद और भूषण की बातचीत:
भूषण, जो उसे शौचालय के मुद्दे पर विरोध करने के लिए उकसाता है, के साथ विनोद की बातचीत दर्शकों को भावनात्मक और हास्य का मिश्रण देती है। यहां अशोक पाठक ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को हंसाया भी और उन्हें विनोद की दुविधा भी महसूस कराई।
3. विनोद की मासूमियत:
विनोद का किरदार बेहद मासूम और सरल है। वह अपनी समस्याओं के बावजूद जीवन में संतुष्ट रहता है, जो इस किरदार को बेहद प्यारा बनाता है।
अशोक पाठक की पंचायती गांव में यह छोटी लेकिन यादगार भूमिका इस वेब सीरीज का अभिन्न हिस्सा रही। उनकी सरलता और हास्य का अंदाज दर्शकों को बहुत पसंद आया, खासकर वे क्षण जब वे भूषण के बहकावे में आकर विरोध करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंततः अपनी मासूमियत से सही रास्ता ढूंढ लेते हैं|
मुंबई में नया जीवन
मुंबई में इतने संघर्षों के बाद भी अशोक का जज्बा कभी नहीं टूटा। धीरे-धीरे वे छोटे किरदार निभाते हुए एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे, जहां उन्होंने एक छोटे से एक रूम किचन फ्लैट का मालिकाना हक हासिल किया। यह फ्लैट उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है, और इस बात का प्रमाण भी कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
अशोक(Ashok Pathak) का दृष्टिकोण
अशोक(Ashok Pathak) हमेशा अपने काम को लेकर गंभीर रहे हैं। वे कभी भी किसी काम को मना नहीं करते थे, चाहे वह भूमिका कितनी ही छोटी क्यों न हो। यही कारण है कि वे आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं जहां उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार और समर्थन मिल रहा है। ‘पंचायत 2‘ के विनोद के रूप में उनका किरदार न सिर्फ़ शो का हिस्सा बना, बल्कि दर्शकों का दिल भी जीतने में कामयाब रहा।
अशोक की कहानी हमें यह सिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर आप मेहनत और समर्पण से काम करेंगे तो सफलता एक दिन जरूर मिलेगी।
2 thoughts on “Ashok Pathak ‘40000 के विज्ञापन से पँचायत तक संघर्ष का सफर”